The smart Trick of best hindi story That Nobody is Discussing
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इतालो काल्विनो की कहानी : 'थेफ्ट इन केक शॉप' जो आज की अर्थनीति से बनाए-गढ़े जानेवाले समाज का एक महत्वपूर्ण क्रिटीक है, 'कफ़न' की बेतहाशा याद आती है.
बाहरी साइटों का लिंक देने की हमारी नीति के बारे में पढ़ें.
उत्तर: तैयार रहना और कड़ी मेहनत करना महत्वपूर्ण है, लेकिन दयालु होना और जरूरतमंदों की मदद करना भी महत्वपूर्ण है।
असम विधानसभा में जुमे की नमाज़ का ब्रेक ख़त्म करने पर हंगामा, हिमंत बिस्वा सरमा पर जेडीयू हमलावर
दो चूहे – Two Mice Hindi A mouse went out for an journey and meets a peculiar mouse or so he identified as himself. The mouse then went on to show and check out to produce this so identified as mouse establish him self if he is as mousy as he claimed being. So on they went, …
एक दिन चुनमुन ने बच्चों को उड़ना सिखाने के लिए कहा।
बिच्छू स्वभाव का उग्र होता है। वह सदैव दूसरों को नुकसान पहुंचाता है। संत स्वभाव से शांत होता है। वह दूसरों का कल्याण करता है।
अपने घर पहुँचने पर, उसने तुरंत अपनी पत्नी को मछलियाँ दीं और उसे स्वादिष्ट भोजन बनाने को कहा। पर जब पत्नी ने मछली का पहला टुकड़ा खाया तो वह तुरंत बेहोश हो गई। जैसे ही वह बेहोश हुई, पीछे से एक आवाज आई। आवाज ने किसान से कहा कि उसे उसके लालच की सजा मिली है। किसान ने अपनी गलती के लिए माफी मांगी और अपनी पत्नी को बचाने का अनुरोध किया। आवाज ने किसान को आदेश दिया कि मछली बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले सभी बर्तन उसी सरोवर सरोवर में फेंक दे। उसने वैसे ही किया और इस तरह उसकी पत्नी फिर से उठ खड़ी हुई।
कालिया ने अपने दोस्तों को भी परेशान किया हुआ था।
(एक) “बंदी!” “क्या है? सोने दो।” “मुक्त होना चाहते हो?” “अभी नहीं, निद्रा खुलने पर, चुप रहो।” “फिर अवसर न मिलेगा।” “बड़ा शीत है, कहीं से एक कंबल डालकर कोई शीत से मुक्त करता।” “आँधी की संभावना है। यही अवसर है। आज मेरे बंधन शिथिल जयशंकर प्रसाद
निस्वार्थ भाव से व्यक्ति को मित्रता करनी चाहिए। संकट में मित्र ही काम आता है।
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एक दिन राजा के नौकर ने ब्राह्मण से बक्शीश मांगी। ब्राह्मण कोई जवाब दिए बिना वहां से चला गया। नौकर ने best hindi story ब्राह्मण को सबक सिखाने की ठानी। अगले दिन नौकर ने ब्राह्मण से कहा की राजा तुम से नाराज हैं क्योंकि उन्हें तुम्हारे मुँह से दुर्गन्ध आती है। ब्राह्मण घबरा गया और अगली बार राजा से मिलने अपने नाक मुँह पर कपड़ा रख कर गया।
एक महीने बीता पर कोकिला के कंठ से आवाज़ नहीं निकली। जगतगुरु इसका समाधान पूछने अपने राज्य के एक तपस्वी प्रशांत बाबा के पास गया। वहां प्रशांत बाबा ने उसे समझाया की शंगरीला की खुशहाली का राज़ कोकिला नहीं बल्कि ऋषिराज का दयालु और मेहनती स्वभाव है। प्रशांत बाबा ने जगतसुरु से अपने स्वार्थी स्वाभाव को छोड़ कर कोकिला को वापस लौटाने की सलाह दी। जगतगुरु ने प्रशांत बाबा की बात मानी और कोकिला को ऋषिराज को वापस लौटा दिया। कुछ दिन बाद डोंगरीला भी समृद्ध और खुशहाल राज्य बन गया।